यह अर्धनग्न युवा कोई चोर उचक्के नहीं है, ये पत्रकार हैं, इन्हे किसने दी तालिबानी सजा ?

यूपी और एमपी के पत्रकारों पर पुलिस और नेताओं के अत्याचार की कहानियां अक्सर सामने आती हैं। लेकिन एमपी की घटना सारी..

यह अर्धनग्न युवा कोई चोर उचक्के नहीं है, ये पत्रकार हैं, इन्हे किसने दी तालिबानी सजा ?

यूपी और एमपी के पत्रकारों पर पुलिस और नेताओं के अत्याचार की कहानियां अक्सर सामने आती हैं। लेकिन एमपी की घटना सारी हदों को पार कर गई है।सोशल मीडिया पर वायरल ये तस्वीर मध्य प्रदेश के सीधी जिले की है। कायदे से पता बताएं तो सीधी के जिला कोतवाली की है। बिना कपड़ों के हाथ बांधे खड़े ये लोग पुलिस की हिरासत में हैं। इनमें सबसे किनारे बाईं ओर खड़े शख्स का नाम कनिष्क तिवारी है।

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कनिष्क एक राष्ट्रीय हिंदी न्यूज चैनल के स्ट्रिंगर हैं। हैरानी है कि देश में पत्रकारों के बड़े-बड़े संगठन हैं लेकिन वे ऐसे मामलों में विरोघ की बजाय चुप्पी साध लेते हैं।  कई पत्रकार संगठन तो अलग-अलग विचारधाराओं को मानते हुए उसी तरह से व्यवहार करते हैं। यह भी एक विडम्बना है कि देश में जब भी बड़े नाम वाले पत्रकारों पर कोई कार्रवाई होती है तो वो सुर्खियां बन जाते हैं और तुरंत तमाम संगठन आंदोलन के लिए भी तैयार हो जाते हैं। लेकिन बलिया और सीधी (एमपी) जैसी घटनाओं पर पत्रकार संगठनों का ज़मीर क्यों नहीं जागता है।  

भारत में प्रेस की आजादी के मामले में भारत 142 वें नंबर पर है। रिपोर्टर्स विद आउट बार्डर्स के मुताबिक भारत में सरकार ने मीडिया को पूरी तरह नियंत्रित कर रखा है। छोटी-छोटी घटनाओं में पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया जाता है। बहरहाल, एमपी की इस घटना पर लोगों ने गुस्से का इजहार किया है। लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि यूपी के बलिया में तीन पत्रकारों ने नकल माफिया के खिलाफ लिखा तो उल्टा उन्हें जेल भेज दिया गया। मध्य प्रदेश में विधायक के खिलाफ खबर दिखाने पर सारे पत्रकारों को नंगा करके थाने में खड़ा किया जाता है। भारतीय लोकतंत्र में चौथे खंभे की यह दुर्दशा होगी, किसी ने सोचा न था।

मध्य प्रदेश में थाने के अंदर पत्रकार और रंगकर्मियों को नंगा करने का मामला क्या है। सोशल मीडिया पर वायरल ये तस्वीर मध्य प्रदेश के सीधी जिले की है। बिना कपड़ों के हाथ बांधे खड़े ये लोग पुलिस की हिरासत में हैं। इनमें सबसे किनारे बाईं ओर खड़े शख्स का नाम कनिष्क तिवारी है। कनिष्क एक राष्ट्रीय हिंदी न्यूज चैनल के स्ट्रिंगर हैं। साथ ही ‘विन्ध्य टीवी’ नाम से अपना यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं। इनके साथ में खड़े लोग रंगमंच यानी थिएटर का काम करते हैं। इंद्रावती नाट्य समिति से जुड़े हुए हैं। इन सभी का आरोप है कि स्थानीय विधायक के कहने पर पुलिस ने कोतवाली के अंदर उनकी पिटाई की और दुर्व्यवहार किया।

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  • पूरे मामले की सच्चाई 

2 अप्रैल 2022. सीधी पुलिस ने रंगकर्मी और इंद्रावती नाट्य समिति के निदेशक नीरज कुंदेर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। नीरज पर फेक फेसबुक आईडी बनाकर बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला और उनके बेटे गुरुदत्त शुक्ला के बारे में अभद्र टिप्पणी करने का आरोप था। उन पर हुई कार्रवाई के बाद नाट्य समिति से जुड़े लोग कोतवाली पहुंच कर प्रदर्शन करने लगे. नाट्य समिति से जुड़े रंगकर्मी रोशनी प्रसाद मिश्रा ने बताया,“कोई एक अनुराग मिश्रा नाम से फर्जी आईडी है। जो बघेली भाषा में विधायक जी के ऊपर टिप्पणी करता रहता है। उनको शंका हुई कि इसके पीछे नीरज है तो उन्होंने पुलिस पर दबाव बनाकर उसे उठवा लिया। जिसके बाद हम लोग कोतवाली के सामने धरने पर बैठ गए।

उसी में कुछ बाहरी लोग भी आ गए जो मुख्यमंत्री के खिलाफ नारे लगाने लगे। जिसके बाद उन्होंने हम सबको पकड़कर अंदर बंद कर दिया। वहां सबके कपड़े उतरवा दिए और मारपीट भी की। एक पत्रकार भी थे वहां पर कनिष्क तिवारी। उनके साथ भी मारपीट की गई। उनको अलग कमरे में ले जाकर भी मारपीट की गई। उनका वीडियो बनाकर शेयर किया गया। नीरज का मोबाइल पुलिस ने 2 तारीख को ही ले लिया था। नीरज जेल में था। इसके बावजूद उस आईडी से पोस्ट आई। नीरज इन सबके पीछे है इसका कोई पुख्ता सबूत नहीं है। हम कह रहे हैं कि अगर आपके पास सबूत है तो आप उजागर करिए। लेकिन वे (पुलिस) ऐसा नहीं कर रहे।”

वायरल फोटो में दिख रहे जिन पत्रकार कनिष्क शुक्ला के साथ मारपीट की गई उन्होंने इसके लिए सीधे विधायक को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा, “मैं मामला कवर करने गया था। मैं यहीं का हूं इसलिए यहां के मुद्दे उठाता रहता हूं। मेरे यूट्यूब चौनल पर 1 लाख 70 हजार लोग जुड़े हुए हैं। मेरी कई खबरें ऐसी हैं, जिनसे उनको लगता है कि ये मेरे खिलाफ खबरें करते हैं। उस दिन मैं वहां थाना प्रभारी से बात कर रहा था। ये लोग आवेदन लिखकर लाए थे तो सबने सिग्नेचर किया तो मैंने कहा कि आप इसे भी ले लीजिए। तब तक नीचे बैठे लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी।

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इसके बाद थाना प्रभारी के पास विधायक का फोन आता है और वो बिल्कुल आक्रामक हो जाता है। जबकि कोई सार्वजनिक रास्ते पर नहीं बैठा था। सबको लेकर गए और मारपीट की। कपड़े उतरवाकर मारपीट की। थाना प्रभारी मुझे अलग कमरे में ले गए और कहा कि विधायक के खिलाफ क्यों खबरें चलाते हो, मेरे खिलाफ क्यों खबर चलाते हो ? विधायक के लोगों ने हमारी फोटो खींची। हमारे पूरे कपड़े उतरवा दिए थे। एक-एक व्यक्ति को मारा जा रहा था। दो-तीन लोगों के साथ काफी मारपीट की गई।

वहीं दूसरी तरफ विधायक केदारनाथ शुक्ला के बेटे गुरुदत्त शुक्ला ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। गुरुदत्त ने बताया कि उन्होंने 2-3 महीने पहले पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा, “एक अनुराग मिश्रा नाम की आईडी से लगातार मेरे पिताजी, मेरे, मेरी बहन और जीजाजी के विरुद्ध टिप्पणी की जा रही थी और आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग कर रहे थे. जिसके बाद मैंने पुलिस-प्रशासन को लिखित शिकायत दी थी।  सोशल मीडिया पर फोटो वायरल होने के बाद ये सवाल उठाया जा रहा है कि आखिर एक पत्रकार और रंगकर्मियों ने ऐसा कौन सा संगीन जुर्म कर दिया कि उनको थाने में नंगा करके रखा गया है ? इस सवाल के जवाब में एसपी मुकेश श्रीवास्तव इसे प्रोसेस का हिस्सा बताते हैं। हालांकि वे कहते हैं कि थाने के अंदर की फोटो वायरल कैसे हुई और फोटो किसने खींची, इसकी जांच की जाएगी। 

उन्होंने कहा, एक फर्जी फेसबुक आईडी से यहां के जनप्रतिनिधि और उनके पुत्र के खिलाफ अनर्गल बातें लिखी थीं। उसमें जांच और फेसबुक से मिली जानकारी के बाद एक अपराध पंजीकृत व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद कनिष्क तिवारी और 9-10 लोगों ने थाने के बाहर नारेबाजी और अनर्गल बातें कीं। इसके बाद इन्हें भी अरेस्ट किया गया था और पुलिस अभिरक्षा में रखा गया था। इसमें चूंकि फोटो वायरल हुई है तो हमने अलग से एक जांच आदेशित की है कि ये वायरल कैसे हुई। बाकी जो भी इसमें विभाग और मानवाधिकार के नियम होते हैं उनके हिसाब से कार्रवाई की जाएगी। 

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  • कांग्रेस को मिला मुद्दा

कांग्रेस के तमाम नेताओं ने इस मसले पर सोशल मीडिया पर सरकार को घेरा है। पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने फोटो ट्वीट करते हुए कहा कि यह मप्र के सीधी जिले के पुलिस थाने की तस्वीर है। यह अर्धनग्न युवा कोई चोर उचक्के नहीं है, ये लोकतंत्र के चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया के साथी है। इन्हें अर्धनग्न कर जेल में इसलिए डाला गया क्योंकि इन्होंने भाजपा विधायक के खिलाफ खबर चलाई थी।

वहीं, पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि प्रदेश की निकम्मी और उनके बड़बोले मुखिया से सवाल करना सीधी बघेली न्यूज चौनल के वरिष्ठ पत्रकार कनिष्क तिवारी और उनके साथियों को भारी पड़ा। नग्न कर उन्हें थाने में खड़ा किया गया है। यह घोर निंदनीय कृत्य है...  शिवराज सिंह सरकार अब अंग्रेजों की भांति दमनकारी रवैया अपना रही है।

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