ठण्ड में कोहरे के दौरान रेल परिचालन के लिए झाँसी मंडल में इस तरह तैयारी हुई
उत्तर भारत में सर्दियों के मौसम ठंड के मौसम में कोहरे छा जाना एक स्वाभाविक प्राकृतिक प्रक्रम है। कोहरे के कारण सीमित...
उत्तर भारत में सर्दियों के मौसम ठंड के मौसम में कोहरे छा जाना एक स्वाभाविक प्राकृतिक प्रक्रम है। कोहरे के कारण सीमित दृश्यता से प्रति वर्ष परिवहन व्यवस्था के साथ-साथ रेलवे भी प्रभावित होती है। खराब दृश्यता के कारण माल और कोचिंग ट्रेनों का परिचालन प्रभावित होता है और इसमें संरक्षा से जुड़े विभिन्न प्रोटोकालों को लागू किया जाता है जिसमें कोहरे से प्रभावित रेल मार्गों में गति प्रतिबंध लगाये जाते हैं। इससे ट्रेनों की गति में कमी आती है और ट्रेनें विलंबित होती हैं तथा असामान्य देरी से चलने के कारण कई ट्रेनों को रद्द भी करना पड़ता है।
घने कोहरे के कारण रेलवे के समक्ष आने वाली कठिनाइयां
= रेलगाडियों के विलम्ब से चलने के कारण रैकों का अनियमित आगमन/प्रस्थान ।
= मार्ग अवरोधों और रेलगाड़ियों की धीमी गति के कारण चालक दल के कार्य के घंटों में वृद्धि के कारण चालक दल की कमी ।
= रेलगाड़ियों के विलम्ब से चलने के कारण रेलगाड़ियों की समय-सारणी, वाशिंग लाइन परिसरों में उनके रख-रखाव के समय पर प्रभाव ।
= प्रमुख रेल टर्मिनलों के प्लेटफार्मों पर प्रतीक्षारत यात्रियों की अधिक भीड़ ।
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हालाँकि, इस सर्दियों में झाँसी मंडल ने कई कदम उठाए हैं, जिसमें पिछले वर्षों के नियमित क्रियाओं के साथ-साथ नई पहल भी शामिल है ताकि हमारे सम्मानित ग्राहकों को समय पर उनके गंतव्य तक ले जाने के लिए ट्रेन परिचालन पर कोहरे के प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जा सके । मंडल रेल प्रबंधक आशुतोष के नतृत्व में पिछले अनुभवों को ध्यान में रखते हुए, झाँसी मंडल ने आने वाले कोहरे में रेल परिचालन के दृष्टिगत एक व्यापक योजना बनाई है । प्रमुख प्रयास निम्नवत हैं
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कोहरे के दौरान रेल परिचालन को बेहतर ढंग से व्यवस्थित करने की प्रस्तावित योजना संरक्षा
= सभी लोकोमोटिव पर जीपीएस पर आधारित सिग्नल स्थान पर लोकोपायलटों को दृश्यता बहुत खराब होने पर सिग्नल को देखने की संभावना कम होने की स्थिति में चेतावनी देने के लिए फॉगसेफ डिवाइस उपलब्ध कराई गई ।
=सभी लोको पायलट / सहायक लोको पायलट को सिग्नल लोकेशन पुस्तक उपलब्ध करायी गयी, जिससे आने वाले सिग्नल की जानकारी लोको पायलट / सहायक लोको पायलट को पहले से प्राप्त हो।
= कोहरे / खराब मौसम की स्थिति के दौरान लोकोमोटिव की गति निर्धारित नियमों के अनुरूप होगी।
= विशेष रूप से रात्रि मे रेलवे ट्रैक में किसी भी संभावित दोष की पहचान करने के लिए रेल लाइनों की कोल्ड वेदर पेट्रोलिंग की जा रही है।पैट्रोलमैन को आसानी से ट्रैक के कुशल निरीक्षण के लिए सभी व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों और हल्के वजन के अनुरक्षण उपकरणों से लैस किया गया है।
= रेल पथ पर गश्त लगाने वाले कर्मचारियों को जीपीएस आधारित हैंड-हैल्ड उपकरण प्रदान किए गए हैं ताकि किसी भी आकस्मिक घटना की सूचना वे दोनों ओर के निकटवर्ती स्टेशनों तक तुरंत पहुँचा सकें ।
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= स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली का मॉडिफाइड ऑटोमेटिक सिग्नलिंग में परिवर्तन।यह कोहरे के दौरान दो स्टेशनों के मध्य गाड़ियों की संख्या को नियंत्रित करने मे सहायक होगी।
= सभी कॉशन बोर्ड, सीटी बोर्ड आदि को बेहतर दृश्यता के लिए रेट्रो रिफ्लेक्टिव कोटिंग के साथ प्रदान किया गया है। ट्रैक पर सिग्नल एप्रोच पर लाइम मार्किंग भी नियमित अंतराल पर की जाती है ताकि, कम दृश्यता की स्थिति में लोको पायलट को सहायता मिल सके ।
=कोहरे के अवधि के दौरान इंजनों/ड्राइवरों/लिंक रैकों की योजना बनाना एवं उनकी समीक्षा करना ताकि चालक दल को आराम करने का पर्याप्त समय मिल सके । साथ ही चल स्टॉक की साफ-सफाई और अनुरक्षण ठीक प्रकार से किया जा सके । इससे रेलगाड़ी की अगली सेवा बिना विलम्ब के चलाना सम्भव हो सके ।
= कम दृश्यता संबंधी मामलों से निपटने के लिए लोकोपायलटों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है । वह रेल पथों पर परिस्थिति के अनुसार रेलगाड़ी की गति सीमा को अपने विवेक और सूझ-बूझ के साथ नियंत्रित करेगा ।
= किसी भी चालक दल या गार्ड को मेडिकल परीक्षा (पीएमई)पास किए बिना ट्रेनों के संचालन की अनुमति नहीं दी जाती है।
=लोकोमोटिव और कोच और अन्य रोलिंगस्टॉक को सर्दियों की ड्राइव के दौरान एयरटाइट, कैब रूम में हीटर, एसएलआर पर उचित रेट्रो रिफ्लेक्टिव एक्समार्क, फ्लैशिंग लाइट आदि की उपलब्धता का विशेष रूप ध्यान दिया जाता है।