हर बारिश मे यह मुद्दा उठता है फिर समाप्त हो जाता है

हर बारिश मे यह मुद्दा उठता है फिर समाप्त हो जाता है

सौरभ द्विवेदी @ चित्रकूट

दुनिया इस समय कोरोना वायरस से लड़ रही है। भारत के सामने सिर्फ कोरोना ही बड़ी जंग नहीं अपितु साफ - सफाई भी बड़ा मुद्दा है। यह हर साल की जंग है। जो छिटपुट जंग रहती थी। किन्तु कोरोना वायरस के समय मे यह बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। चिंता की बात है कि जून की छिटपुट वर्षा मे नालियां जवाब दे रही हैं। 

अफसोसजनक है कि इस देश मे कुछ नहीं हो सकता। जो लोग जिम्मेदार हैं, पावरफुल हैं उनको अपनी भूमिका का अहसास ही नहीं है। इसलिए अब बड़ा डर लगने लगा है कि आखिर जिंदगी सुख से कैसे जी जाएगी ? 

गलियाँ मिट्टी से भर जाती हैं, नालियों का पानी सड़क पर उफान मारने लगता है। वर्ष भर यहाँ स्वच्छता की ओर ध्यान नहीं दिया जाता। जब स्वच्छता नहीं है तब स्वस्थ जीवन की परिकल्पना ही बेकार है। 

वैसे सच है कि इस देश की जनता मर जाने योग्य है। जो जनता जागरूक ना हो वो किसी ना किसी बीमारी से मरती रहे तो अच्छा है। चूंकि अब इस देश का भला होता नजर नहीं आ रहा है। जहाँ मामूली साफ - सफाई के मुद्दे विकराल रूप धारण कर रहे हों और वैश्विक महामारी फैली हो तब ऐसे में जिंदगी मौत ही बन जाए तो अच्छा है।

इस देश के माननीयों का कुर्ता साफ रहता है पर नाला साफ नहीं रहेगा। माननीयों के आसपास चाक चौबंद व्यवस्था होती है लेकिन अगर कोई नरक जिंदगी जीने को मजबूर है तो वह जनता है ! 

वक्त अभी भी है कि एक अच्छी जिंदगी के लिए प्रयास हो। जनता शीघ्र अति शीघ्र जागरूक हो। प्रशासन अपनी जिम्मेदारी समझे और खतरा आने से पहले ही हम सावधान होकर तैयार रहें , हर बारिश मे यह मुद्दा उठता है फिर समाप्त हो जाता है। अबकी बार जिंदगी सिर्फ ईश्वर के भरोसे जी जा सकती है। 

जनपद के जनप्रतिनिधि को गांव के जनप्रतिनिधि से बात कर प्रशासन को चौकन्ना कर जिंदगी बचाने के लिए प्रयास करना चाहिए। अन्यथा जनता कि विश्वास उठने लगा है।

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