एसटीएफ कमांडो की सामूहिक हत्या में ठोकिया के नाबालिग भाई दीपक को भी बनाया गया था आरोपी

एसटीएफ कमांडो की सामूहिक हत्या के मामले में डाकू ठोकिया के नाबालिग भाई दीपक उर्फ अवधेश पटेल को भी पुलिस ने नामजद किया था..

एसटीएफ कमांडो की सामूहिक हत्या में ठोकिया के नाबालिग भाई दीपक को भी बनाया गया था आरोपी
फाइल फोटो

बांदा, 

  • ठोकिया के मारे जाने के बाद बागी हुआ था दीपक

एसटीएफ कमांडो की सामूहिक हत्या के मामले में डाकू ठोकिया के नाबालिग भाई दीपक उर्फ अवधेश पटेल को भी पुलिस ने नामजद किया था। इसी के साथ एक अन्य जुगल किशोर को भी नामजद किया गया था । दोनों नाबालिग थे इसलिए इनका मामला जूविनाइल कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था। इनके अलावा पुलिस ने ठोकिया के बहनोई सहित कई रिश्तेदारों को इस मामले में आरोपी बनाया था।

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एसटीएफ के 6 कमांडो और एक मुखबिर की सामूहिक हत्या के मामले में जेल में बंद 13 डकैतों को न्यायालयों ने 15 साल बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। लेकिन इसी हत्याकांड में अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया के भाई दीपक के अलावा कई रिश्तेदारों को भी पुलिस ने आरोपी बनाया था। इनमें ठोकिया का भाई दीपक उस समय नाबालिग था इसलिए उसका मामला जूविनाइल कोर्ट ललितपुर में स्थानांतरित कर दिया गया था। उस समय दीपक को बाल संरक्षण गृह चित्रकूट में रखा गया था। दीपक के साथ ही जुगल किशोर नामक एक और बाल आपचारी को हत्याकांड में नामित किया गया था।

एसटीएफ हत्याकांड के पहले एसटीएफ ने रायबरेली मे रहकर कक्षा 8 की पढाई कर रहे दीपक को उठा लिया था। ठोकिया के परिवार द्वारा एसटीएफ पर दीपक को अगवा करने का आरोप लगाया गया था क्योंकि एसटीएफ ने इस बात को स्वीकार नहीं किया था कि उसने दीपक को अगवा किया है। सूत्र बताते हैं कि लगभग 1 वर्ष तक दीपक एसटीएफ के संरक्षण में रहा और इसके जरिए एसटीएफ ठोकिया तक पहुंचने की तमाम कोशिश करती रही, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। उसे इलाहाबाद में रखा गया। ठीक होली के दौरान पुलिस हिरासत से भाग निकले नाबालिग दीपक पर बाद में पुलिस ने पचास हजार का इनाम तक घोषित कर दिया था। वर्ष 2009 मे दीपक ने सरेंडर कर दिया। 

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 एसटीएफ के चंगुल से छूटने के बाद दीपक ने मीडिया के सामने पेश होकर बताया था कि उसे एसटीएफ अपने कब्जे में रखी थी और उसे टॉर्चर करते हुए भाई ठोकिया को आत्म समर्पण के लिए दबाव डाल रही थी। उसने स्वीकार किया था कि वह उनकी कस्टडी से भाग कर आया है और जो एके 47 राइफल वहां से उठा कर लाया था उसे एक स्थान पर छुपा दिया है। इस घटना के बाद एसटीएफ दीपक की गिरफ्तारी के लिए प्रयास करती रही । 

इसी तरह एसटीएफ ने 24 अप्रैल 2009 को चित्रकूट के सिलखोरी गांव में उसके बहनोई को भी पकड़ा था। एसटीएफ ने ठोकिया के मामा देव शरण पटेल, चुनुवाद पटेल, शंकर सिंह पटेल और बहनोई शिव नरेश पटेल तथा शिव कुमार को भी नामजद किया। इन्हें गिरोह का सूचीबद्ध सदस्य बताया गया। जिसमें शिव कुमार की मौत हो गई जबकि गिरोह की सूची में चाचा नत्थू पटेल और अशोक उर्फ अंग्रेज पटेल भी सदस्य के रूप में दर्ज थे। चुनुवाद और शंकर सिंह सरकारी कर्मचारी थे और भोपाल में जल निगम में काम करते थे।

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आरोपी बनाए गए सभी रिश्तेदारों को इस हत्याकांड में सजा हुई है केवल ठोकिया का भाई नाबालिग होने के कारण बच गया। हत्याकांड में मध्य प्रदेश के  4 फतेहपुर और कौशांबी के भी एक एक व्यक्ति को आरोपी बनाया गया था जिन्हें न्यायालय द्वारा सजा दी गई है।चित्रकूट के वरिष्ठ पत्रकार ने बताया मुठभेड़ के दौरान ठोकिया के मारे जाने के बाद भाई दीपक पटेल ने हथियार उठा लिया और बागी होकर गिरोह की कमान संभाल ली।

लेकिन कुछ ही महीने बाद उसने आत्मसमर्पण कर दिया। कुछ दिनों बाद जमानत होने के बाद जेल से बाहर आ गया और सामाजिक जीवन जीने लगा। उसका फिर गिरोह से किसी तरह का वास्ता नहीं रहा।बाद ग्राम पंचायत सिलखोरी से वह ग्राम प्रधान चुना गया। 6 महीने पहले पुलिस ने दीपक को नालबंद जुआं कराते हुए गिरफ्तार किया और तमाम गंभीर धाराएं लगाकर जेल भेज दिया लेकिन एक बार फिर वह जमानत पर जेल से बाहर आ गया।

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