हमीरपुर में महाराष्ट्र की लाल प्याज की खेती से हजारों किसानों ने बदली तकदीर

जिले में किसानों की समृद्धि के लिए प्याज की खेती अब सैकड़ों गांवों में धूम मचाए है। परम्परागत खेती के साथ...

हमीरपुर में महाराष्ट्र की लाल प्याज की खेती से हजारों किसानों ने बदली तकदीर

बड़ा मुनाफा पाने के लिए खेती का बढ़ा रकबा

जिले में किसानों की समृद्धि के लिए प्याज की खेती अब सैकड़ों गांवों में धूम मचाए है। परम्परागत खेती के साथ हजारों किसानों ने लाल और सफेद प्याज की खेती करके अपनी तकदीर खुद ही बदल डाली है। इसीलिए प्याज की खेती से मोटा मुनाफा देख अब इस उपज का रकबा इस बार किसानों ने बढ़ाया है। इन दिनों खेतों में प्याज में किसान जुटे हैं।

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हमीरपुर समेत समूचे बुन्देलखंड क्षेत्र में परम्परागत खेती के सहारे किसान अपनी आर्थिक बदहाली से उबर नहीं पाया है। हर साल दैवीय आपदा के कारण किसानों को खेतीबाड़ी में तगड़ा झटका लगता है। ऐसे में किसानों ने अपनी समृद्धि के लिए परम्परागत खेती के साथ लाल और सफेद प्याज की खेती की तरफ कदम रखे है। जिले के कुरारा क्षेत्र के मिश्रीपुर गांव में तमाम किसान महाराष्ट्र की लाल प्याज की खेती राजकीय कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों की तकनीकी सलाह पर कर रहे है। डामर और सरसई गांव में ही दर्जनों किसानों ने इस बार प्याज की खेती कई एकड़ क्षेत्रफल में शुरू की है। गांव के सुरेश कुमार, ओमप्रकाश, लखन ने बताया कि प्याज की खेती में लागत भी बहुत कम आती है लेकिन इससे मुनाफा तीन गुना तक होता है।

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जिला उद्यान अधिकारी डाॅ. रमेश पाठक ने बताया कि जिले के मौदहा, सुमेरपुर, मुस्करा, कुरारा, गोहांड व राठ के अलावा सरीला आदि ब्लाकों के गांवों में किसानों ने प्याज की खेती करके अपनी आमदनी बढ़ाई है। इस बार भी बड़ी संख्या में किसानों ने लाल और सफेद प्याज की खेती शुरू की है। जिला उद्यान निरीक्षक घनश्याम सोनकर ने बताया कि प्याज की खेती में पच्चीस से तीस हजार रुपये प्रति बीघा लागत आती है लेकिन इससे मुनाफा एक से डेढ़ लाख प्रति बीघा किसानों को मिल रहा है। बताया कि बुन्देलखंड की मिट्टी प्याज की खेती के लिए बड़ी ही कारगर है।

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सैकड़ों गांवों में किसानों ने कम लागत में ही शुरू की प्याज की खेती

जिले के डामर, सरसई, पाटनपुर, गोहानी, गहरौली, खड़ेहीलोधन, बिहुंनी, पंधरी, चंदपुरवा बुजुर्ग, औड़ेरा व चिल्ली समेत ढाई सौ गांवों में किसानों ने लाल प्याज की खेती शुरू की है। एमए पास ऋषि शुक्ला ने नौकरी छोड़कर अपने पाटनपुर गांव में ही एक हेक्टेयर में परम्परागत खेती के साथ महाराष्ट्र की लाल प्याज की खेती शुरू की है। इन्होंने बताया कि पिछले बार प्याज की खेती में तीन गुना मुनाफा हुआ था। इसीलिए इस बार इसकी खेती का रकबा बढ़ाया गया है। बताया कि गांव में राजीव कुशवाहा, धर्मेन्द्र कुमार सिंह ने अबकी बार प्याज की खेती की तरफ रुख किया है।

सैकड़ों किसानों को डिपार्टमेंट ने दिए प्याज के मुफ्त बीज

क्षेत्र में प्याज की खेती में बड़ा फायदा होने पर पंधरी में रामअवतार ने बड़े क्षेत्रफल में प्याज की खेती शुरू की है। वहीं चंदपुरवा में श्यामपाल समेत दर्जनों किसान भी प्याज की खेती पर दांव लगाया है। गोहानी गांव के राजेन्द्र सिंह ने बताया कि लाल और सफेद प्याज की खेती से किसानों की बदहाली दूर हो रही है। परम्परागत खेती के साथ प्याज की खेती करने से ही उन्हें मोटी कमाई भी हो रही है।जिला उद्यान खान निरीक्षक घनश्याम सोनकर ने बताया कि जिले में ढाई सौ से ज्यादा गांवों में किसान प्याज की खेती कर रहे है। किसानों को मुफ्त बीज भी दिए गए है।

हिस

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