बुंदेलखंड से पलायन रोकने के लिये कृषि कों लाभकारी व्यवसाय के रूप में करना पडेगा स्थापित

बुन्देलखण्ड में कृषि क्रान्ति लाने में बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, का बहुत बड़ा योगदान है। कृषि में युवाओं का रूझान कम हो रहा है..

बुंदेलखंड से पलायन रोकने के लिये कृषि कों लाभकारी व्यवसाय के रूप में करना पडेगा स्थापित

बुन्देलखण्ड में कृषि क्रान्ति लाने में बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, का बहुत बड़ा योगदान है। कृषि में युवाओं का रूझान कम हो रहा है ओर वे शहरों की तरफ पलायन कर रहें है इसे रोकने के लिये हमें कृषि कों लाभकारी व्यवसाय के रूप में स्थापित करना पडेगा।  यह बात आजादी का अमृत महोत्सव के अन्तर्गत ‘‘किसान भागीदारीः प्राथमिकता हमारी’’ अभियान के अन्तर्गत आज कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय मे आयोजित किसान मेला व कृषक वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अध्यक्ष, बुन्देलखण्ड विकास बोर्ड अयोध्या प्रसाद सिंह पटेल ने कही।

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कार्यक्रम का शुभारम्भ  अतिथियों द्वारा किसान मेले का भ्रमण कर जनपद के विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गयी प्रदर्शिनी का अवलोकन किया गया। इस दौरान विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार, डा. एन.के. बाजपेयी ने कार्यक्रम की रूपरेखा से सभी को अवगत कराया साथ ही कहा कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में कृषकों को मोटे अनाजों, तिलहन, दलहन की फसलों की खेती पर बढ़ावा देना चाहिये।

इसके पश्चात ‘‘किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी’’ अभियान का उद्घाटन कृषि मंत्री भारत सरकार नरेन्द्र ंिसह तोमर  के द्वारा किया गया जिसका सजीव प्रसारण कृषकांे को दिखाया गया। इसके बाद जनपद बाँदा की 4 महिला कृषकों क्रमशः श्रीमती मालती दीक्षित, श्रीमती केसर, श्रीमती रीता, श्रीमती उमा देवी एवं 6 प्रगतिशील कृषकों क्रमशः शिवविलास सिंह, राजेन्द्र दत्त,  रामनाथ,  राजा भइया,  स्वयंबर सिंह व विवेक कुमार सिंह को उनके द्वारा जैविक एवं प्राकृतिक कृषि के क्षेत्र में किये गये उल्लेखनीय कार्यों के लिए अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। 

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इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डा. एनपी सिंह द्वारा की गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अयोध्या प्रसाद सिंह पटेल अध्यक्ष, बुन्देलखण्ड विकास बोर्ड एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में बलराम सिंह कछवाह, सदस्य प्रबन्ध समिति, अटारी, कानपुर उपस्थित रहें। इस कार्याक्रम में विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार, डा. एन. के. बाजपेयी, सह निदेशक प्रसार, डा. नरेन्द्र सिंह, अधिष्ठाता उद्यान, डा. एसवी द्विवेदी, अधिष्ठाता कृषि, डा. जी.एस. पवार, उपकृषि निदेशक विवेक कुमार आदि उपस्थित रहें। 

कुलपति ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि वर्तमान में पूरे विश्व में प्राकृतिक एवं जैविक उत्पादों की मांग बढ़ रही है, भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे परम्परागत कृषि विकास योजना के माध्यम से जैविक खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाता है। किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। यह योजना पारंपरिक ज्ञान एवं आधुनिक विकास के माध्यम से खेती के स्थाई मॉडल को विकसित कर रही है। तकनीकी सत्र में डा. जी.एस. पवार, डा. नरेन्द्र सिंह डा. हितेश कुमार डा. कमालुद्दीन ने कृषकों को फसलों पर वैज्ञानिक वार्ता की।

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