संविदा पर नौकरी के प्रस्ताव पर बेरोजगार सड़क पर उतरे

सरकार के 5 वर्ष के संविदा के उपरांत स्थायीकरण के प्रस्ताव को लेकर बेरोजगार युवाओं में गहरा आक्रोश देखने को मिला...

संविदा पर नौकरी के प्रस्ताव पर बेरोजगार सड़क पर उतरे

सरकार के 5 वर्ष के संविदा के उपरांत स्थायीकरण के प्रस्ताव को लेकर बेरोजगार युवाओं में गहरा आक्रोश देखने को मिला। सैकड़ों की तादाद में बेरोजगार सड़क पर उतर आए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की।

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प्रदर्शनकारी बेरोजगारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश कार्मिक विभाग द्वारा प्रस्तावित सरकारी विभाग समूह ख एवं ग  के पदों पर नियुक्ति संविदा पर एवं विनियमितीकरण नियमावली 2020 के प्रस्ताव का मामला संज्ञान में आया है। पूर्व में गतिमान भर्तियों पर भी यह लागू होगी। पिछले 4 वर्षों से भी अधिक समय से अनेक भर्तियों के परिणाम लंबित है। उनके परिणाम आने के संबंध में अभी तक कोई जानकारी नहीं है उनके जी परिणाम आ भी जाते हैं तो उसके बाद भी संविदा पर नियुक्ति और संविदा आधारित मानदेय प्रतियोगी अभ्यर्थी की उन तमाम आशाओं पर कलंक साबित होगा  जिसे उसने अपने लिए अपने परिवार के लिए, अपने प्रदेश के लिए और अपने देश के लिए देखा है। इसी तरह नैतिकता, देशभक्ति, कर्तव्य परायणता जैसे मुद्दों की जांच के लिए यह नियमावली प्रस्तावित है। विभागीय स्तर पर नैतिकता, कर्तव्य परायणता जांचने की पहले से ही कई नियम विद्यमान है, ऐसे में नए नियम प्रतिभागी अभ्यर्थियों के लिए विष का का काम करेंगे।

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बेरोजगारों ने कहा कि भर्ती परीक्षा का उद्देश ही योग्य का चयन होता है ऐसे में एक बार योग्य चयनित व्यक्ति को 5 वर्ष तक बार-बार योग्यता सिद्ध करनी होगी और उसके बाद उसे स्थाई कर दिया जाएगा लेकिन इसकी क्या गारंटी होगी कि 5 वर्ष अवधि के बाद वह योगय बना रहेगा। ऐसे तो यह अनंत काल तक की योग्यता परीक्षण की प्रक्रिया बनकर रह जाएगी। इस पर प्रदेश का संपूर्ण ढांचा ध्वस्त हो जाएगा।

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बेरोजगारों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा है। जिसमें कहा गया है कि इस तरह के किसी भी नियमावली के प्रस्ताव को कैबिनेट के द्वारा मंजूरी न दी जाए, जहां एक और यह भ्रष्टाचार और शोषण को बढ़ावा देगा, वहीं दूसरी ओर प्रतियोगी अभ्यर्थियों को अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करने पर विवश होना पड़ेगा।

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