जब 16 साल का लड़का आंतक का पर्याय बन गया और फिर मारा गया

जब उज्जैन में छोटी उम्र के लड़के पढ़ाई लिखाई में लगे थे, तभी उसी शहर का एक लड़का अपराध की सीढ़ी चढ़ रहा था, नाम था दुर्लभ कश्यप..

जब 16 साल का लड़का आंतक का पर्याय बन गया और फिर मारा गया
दुर्लभ कश्यप (durlabh kashyap)

जब उज्जैन में छोटी उम्र के लड़के पढ़ाई लिखाई में लगे थे, तभी उसी शहर का एक लड़का अपराध की सीढ़ी चढ़ रहा था, नाम था दुर्लभ कश्यप फेसबुक पर असलहों के साथ फोटों डालना, माथे पर काला टीका और कंधे पर काला गमछा यही दुर्लभ की पहचान थी।

देखते ही देखते पूरे उज्जैन में इस 16 साल के लड़के की चर्चा होने लगी और जल्द ही कश्यप ने अपना गैंग बना लिया। फिर क्या रोज पुलिस थानों में एक ही नाम से कई एफआईआर दर्ज होने लगे। पुलिस भी हैरान थी की महज 16 साल का लड़का इतना आंतक कैसे मचा सकता है।

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8 नवंबर सन् 2000 में एक बिजनेस कारोबारी पिता और सरकारी टीचर मां के यहां किलकारियां गूंज उठी और जन्म हुआ एक लड़के का, पिता ने नाम रखा दुर्लभ उनका मानना था कि बड़े होकर उनका बेटा एक अच्छा और सबसे हटके कुछ नया करेगा।

दुर्लभ कश्यप (durlabh kashyap)

हुआ भी कुछ ऐसा ही अच्छा तो नही लेकिन सबसे हटके जरूर दुर्लभ ने अपराध का रास्ता चुन लिया। पहले स्कूल से शुरूआत हुई। स्कूली समय से ही दुर्लभ अपने से सीनियर और जूनियर के झगड़ो को निपटाने लगा फिर धीरे-धीरे स्कूल का दादा बन गया। फिर क्या था स्कूली दादा का खौफ इतना बढ़ गया की इसकी उम्र के लड़के दुर्लभ को ही अपना सरकार मानने लगे। 

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लड़कों के साथ एक गैंग बनाया 

थोड़े दिनों में ही कश्यप ने अपने ही उम्र के लड़कों के साथ एक गैंग बना लिया। इस गैंग के लड़के कश्यप के कहने पर किसी को भी मौत के घाट उतारने को तैयार रहते थे। कुछ सूत्र बताते हैं की दुर्लभ का नाम इतना था की दूसरे शहर के लड़के भी उससे जूड़ने के लिए उज्जैन अपना घर बार छोड़कर आने लगे थे।

दुर्लभ कश्यप (durlabh kashyap)

अब वो समय आ गया था जब दुर्लभ कश्यप उज्जैन के बड़े कारोबारी और पुलिस के आंखों में गड़ने लगा। यही वो वक्त था जब कश्यप अपनी उम्र के दहलीज को पार करके 17 साल का हो चुका था। 17 साल की उम्र तक पहुंचते पहुंचते उसके ऊपर तमाम अपराधिक मामले भी दर्ज होने की शुरूआत हो चुकी थी, जिनमें फिरौती, जान से मारने की धमकी जैसे संगीन मुकदमे उज्जैन के कई थानों में दर्ज हो चुके थे।

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18 साल की उम्र तक पहुंचते ही उस पर 9 मुकदमे दर्ज हो चुके थे। ऐसा कहा जाता हैं की दुर्लभ को उज्जैन का भाई बनाने में सोशल मीडिया का बहुत बड़ा हाथ था। कश्यप ने अपने फेसबुक के अकाउंट के बायो में लिख रखा था की कि वह कुख्यात बदमाश है , हत्यारा और अपराधी है कोई सा भी विवाद हो, कैसा भी विवाद हो तो उससे संपर्क करें। ऐसे तमाम पोस्ट के जरिए वो और उसका गैंग लोगों को धमकाने का काम करने लगें। लेकिन कहते है न की अपराध की दुनिया ज्यादा बड़ी नही होती हैं। जैसे ही उज्जैन पुलिस को इन पोस्ट के बारे में 27 अक्टूबर 2018 पता चला वैसे ही दुर्लभ और उसके गैंग के 23 लड़कों को गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया। 

दुर्लभ कश्यप (durlabh kashyap)

पिछले साल लॉकडाउन से पहले दुर्लभ जमानत पर छूटकर जेल से बाहर आया था, और इंदौर में रहने लगा जब लॉकडाउन खुला तो वो अपनी माँ के पास उज्जैन वापस चला गया।वो 6 सितम्बर 2020 की रात थी जब दुर्लभ की माँ ने अपने बेटे और उसके दोस्तों के लिए दाल बाटी बनाई थी, सबने साथ बैठकर खाना भी खाया, इसके बाद दुर्लभ अपने चार दोस्तों के साथ चाय और सिगरेट पीने के लिए अमन उर्फ़ भूरा की दुकान पर रात के एक बजे पहुंचा था।

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रात के करीब डेढ़ बजे थे, यहाँ पर दूसरी गैंग के शहनवाज, शादाब, इरफ़ान, राजा, रमीज और उनके कई साथी भी उसी दुकान पर पहुंचे। पुरानी रंजिश के चलते दोनों एक दूसरे को घूरने लगे और शहनवाज से दुर्लभ की कहासुनी हो गयी। फिर क्या था शाहनवाज और उसके साथियों ने चाकुओं से कश्यप के ऊपर हमला कर दिया, दुर्लभ ने शाहनवाज पर गोली चला दी जो उसके कंधे पर लगी और वो घायल हो गया।

दुर्लभ कश्यप (durlabh kashyap)

इस के बाद शहनवाज के साथी दुर्लभ और उसके दोस्तों पर टूट पड़े। दुर्लभ के साथ उसके चार दोस्त थे, जबकि शाहनवाज के साथियों की संख्या काफी ज्यादा थी। इन लोगों ने दुर्लभ पर चाकुओं से वार करना शुरू कर दिया और उसके दोस्त अपनी जान बचाकर भाग गए। कश्यप के दोस्त अभिषेक शर्मा का कहना था कि शादाब चाक़ू मार रहा था और चाय वाला भूरा कह रहा था कि “शादाब भाई इसे ख़त्म कर दो जिन्दा मत छोड़ना”। दुर्लभ को 34 बार चाकुओं से गोदा गया था।

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