जब कीचड़ में फंसे एसडीएम, बटोरा पैंट जूता लिए हाथ !

सड़क निर्माण में अनियमितता की शिकायत की जांच करने गए एसडीएम बरसात हो जाने के कारण खुद कीचड़ में फंस गए। उन्होंने पैंट चढ़ाया और जूता हाथ..

जब कीचड़ में फंसे एसडीएम, बटोरा पैंट जूता लिए हाथ !
कीचड़ में फंसे एसडीएम..

गोंडा,

  • सोशल मीडिया पर एसडीएम का वीडियो वायरल होने के बाद लोग कर रहे प्रशंसा

सड़क निर्माण में अनियमितता की शिकायत की जांच करने गए एसडीएम बरसात हो जाने के कारण खुद कीचड़ में फंस गए। उन्होंने पैंट चढ़ाया और जूता हाथ में लेकर करीब एक किलोमीटर तक कीचड़ में चलकर सड़क निर्माण की बारीकी से हकीकत परखी, वहां के ग्रामीण, यह नजारा देखकर यह कहते नजर आए यदि ऐसे सभी अधिकारी हो जाएं तो व्यवस्था स्वयं सुधर जाएगी। एसडीएम साहब का जूता हाथ में लिए यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

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बता दें कि, इटियाथोक विकासखंड के लोहशीशा गांव के ग्रामीणों ने लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई जा रही सड़क में अनियमितता बरते जाने की शिकायत की थी। जिलाधिकारी ने प्रकरण में जांच के लिए तीन सदस्य टीम का गठन कर जांच के आदेश दिए थे। इसमें एसडीएम सदर तथा ग्रामीण अभियंत्रण सेवा व लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता शामिल थे।

मंगलवार को जब यह टीम सड़क की जांच करने पहुंची तो बारिश होने लगी। करीब एक किलोमीटर सड़क पर सिर्फ अभी मिट्टी पटाई का कार्य संपन्न हुआ था। बरसात हो जाने के कारण सड़क पर भीषण कीचड़ हो गया। बारिश के कारण लौटते समय एसडीएम कीचड़ में फंस गए।

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इस संबंध में एसडीएम सदर कुलदीप सिंह ने बताया कि सड़क की जांच के लिए जिलाधिकारी द्वारा टास्क फोर्स का गठन किया गया था। उसी प्रकरण में जांच करने गए थे। यह एक करोड़ 39 लाख का प्रोजेक्ट है। इसमें 19 लाख की पहली किस्त आई थी। टेंडर होने के बाद ठेकेदार ने काम शुरू किया। बाद में कुछ दिनों तक किस्त ना आने के कारण ठेकेदार ने सड़क बनाने से हाथ खड़े कर दिए।

दूसरी किस्त फिर आई जब तब काम शुरू हुआ करीब 09 सौ मीटर सड़क पिच बनकर तैयार हो गई है। 11 सौ मीटर सड़क में सिर्फ मिट्टी का कार्य हुआ है। वर्तमान समय में पूरा बजट आ गया है। ग्रामीणों को शक था कि पैसा निकल गया है। काम नहीं हुआ है, लेकिन अभी भुगतान नहीं हुआ है। बरसात होने के कारण इस समय सड़क का निर्माण नहीं कराया जा सकता है।

उन्होंने स्वीकार किया कि ग्रामीणों को वास्तव में बहुत परेशानी है। उस रास्ते के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है। इसमें ठेकेदार की लापरवाही है। जब पैसा आ गया था तो मई जून में बरसात से पहले सड़क का निर्माण पूरा करा देना चाहिए। विभाग की भी जिम्मेदारी थी कि उसकी देखरेख करना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी।

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हि.स

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