किसने कहा बुंदेलखंड के जनप्रतिनिधि अलग राज्य का मुद्दा संसद व विधानसभा में नहीं उठाते

बुंदेलखंड के जनप्रतिनिधि जब संसद या विधानसभा पहुंचते हैं तो अलग राज्य बनाने का मुद्दा नहीं उठाते..

किसने कहा बुंदेलखंड के जनप्रतिनिधि अलग राज्य  का मुद्दा संसद व विधानसभा में नहीं उठाते

बुंदेलखंड के जनप्रतिनिधि जब संसद या विधानसभा पहुंचते हैं तो अलग राज्य बनाने का मुद्दा नहीं उठाते हैं। अगर जनप्रतिनिधियों ने अलग राज्य की मांग को लेकर अपनी आवाज बुलंद की होती तो निश्चित अलग राज्य बनाने में सफलता मिल गई होती।

यह बात आज बुंदेलखंड विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष व सिने अभिनेता राजा बुंदेला ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। वह यहां पानी जवानी किसानी संवाद यात्रा शुरू करने से पहले पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन जैसे नेताओं ने अलग झारखंड राज्य के लिए न सिर्फ सफल आंदोलन किया बल्कि संसद में कई बार इस मामले को उठाया।उनकी पार्टी से जुड़े लोगों ने विधानसभा में हंगामा किया और उनकी मांग पूरी हो गई जबकि अलग बुंदेलखंड राज्य का मामला झारखंड से भी पुराना है।

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उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि यहां से चुने जाने वाले सांसद और विधायक बुंदेलखंड राज्य के मामले में संसद व विधानसभा में चुप्पी साध लेते हैं। श्री बुंदेला ने कहा कि मैंने अलग राज्य के लिए जीवन भर संघर्ष किया है और आज भी हर मंच से अलग बुंदेलखंड राज्य की बात कर रहा हूं।

मेरी पहचान बुंदेलखंड से है मेरा लक्ष्य बुंदेलखंड है, लेकिन जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण आज तक अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग बुलंद नहीं हो सकी। यह भी कहा कि बुंदेलखंड राज्य निर्माण को लेकर कई आंदोलन हुए, आज भी अलग अलग 18 संगठन मांग कर रहे जबकि इन संगठनों को एकजुट होकर दिल्ली के जंतर मंतर में प्रदर्शन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मसले को लेकर मैंने कई बार आंदोलनों में हिस्सा लिया, हिंसक प्रदर्शन भी हुए प्रदर्शन के कारण ही मुझे आर्थिक क्षति भी हुई लेकिन मैंने हार नहीं मानी अब मेरा लक्ष्य है कि इस मसले को राजनीतिक सहमति बनाकर हल करना चाहिए और इसके लिए मेरी मुहिम जारी है।

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raja bundela banda

उन्होंने पानी जवानी किसानी संवाद यात्रा की चर्चा करते हुए कहा कि बुंदेलखंड के बांदा चित्रकूट और ललितपुर में पानी की समस्याएं हैं और पलायन यहां की सबसे बड़ी समस्या है।इसे रोकने के लिए प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान जो  किसान घर वापस लौटे हैं उनमें तमाम पुनः बाहर चले गए हैं और अभी भी बहुत से मजदूर अपने गांव में है उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने ,खेती करने के लिए उत्साहित करने, बैंक प्रक्रिया सेहत बनाने और स्टार्टअप आदि से जोड़ना चाहिए। कहा कि पलायन के कारण तीन पीढ़ियां बर्बाद होती हैं एक पीढ़ी जवानी में गैर प्रांतों में पत्थर तोड़ती है, बुजुर्ग घर में कराहते हैं और बचपन गांव के खेत खलियान में धूल धूसरित होता है।

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बुंदेला ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश सरकार अन्ना गायों के परवरिश के लिए गौशाला की व्यवस्था करा रही है जबकि गौशालाओं की हालत बड़ी ही बदहाल स्थिति में है।उन्होने कहा कि पानी जवानी किसानी संवाद यात्रा 14 जनवरी से 20 जनवरी 2021 तक चित्रकूट धाम मंडल के चारों जनपद से यात्रा गुजरेगी।

इसमें रोजगार का संकट समाधान संभावनाओं को रखा गया है। यात्रा में दिल्ली विश्वविद्यालय असिस्टेंट प्रोफेसर युवाओं बेरोजगार संकट समाधान संभावनाओं के विशेषज्ञ डॉ पंकज चैधरी मुख्य वक्ता के रूप में रहेंगे बुंदेलखंड में तालाब एवं जल संरक्षण अभियान को लेकर कार्य कर रहे एवं जल विशेषज्ञ शोध छात्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय राम बाबू तिवारी और यात्रा के संयोजक अजीत सिंह शामिल है।

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