हिन्दू पर्व ही हिंसा का शिकार क्यों होते हैं ?

यह चिंता की बात है कि यह एक चलन सा बनता जा रहा है कि जब सार्वजनिक स्थलों पर कोई धार्मिक आयोजन होता है तो प्रायः पहले किसी बात को लेकर विवाद होता है और फिर हिंसा शुरू हो जाती है। कई बार तो यह हिंसा बड़े पैमाने पर और किसी सुनियोजित साजिश के तहत होती दिखती है। भारत मे कोई एक ऐसी घटना बता दीजिए जब हिंदुओं ने इकट्ठा होकर मुस्लिमों के किसी मजहबी कार्यक्रम में पत्थरबाजी की हो या व्यवधान पैदा किया हो? हजारों जलसे-जुलूस, अल्लाह की शान में गुस्ताखी के लिए किए गए धरने-प्रदर्शन, यहां तक कि शाहीन बाग जैसे देश विरोधी प्रदर्शनों में भी कभी किसी हिंदू ने कोई व्यवधान पैदा नहीं किया, चुपचाप बर्दाश्त कर लिया। देश के कोने कोने से हजारों लाखों हज यात्रियों के जत्थों पर आज तक क्या किसी हिंदू ने पथराव किया?


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