महिलाओं ने विधिविधान से की वटवृक्ष की पूजा
पुरातन काल से वट सावित्री व्रत की पूजा करने की परम्परा रही हैं...
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चित्रकूट(संवाददाता)। पुरातन काल से वट सावित्री व्रत की पूजा करने की परम्परा रही हैं। महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखकर बरगद की पूजा विधिविधान से किया।
जिले में ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु होने की कामना को लेकर विधिविधान से वट वृक्ष की परिक्रमा कर सूत्रबन्धन किया। बताया कि सतयुग में सती सावित्री की धर्म, निष्ठा, ज्ञान, विवेक तथा पतिव्रत धर्म की बात जानकर यमराज ने सत्यवान के प्राणों को अपने पाश से मुक्त कर दिया था। तभी सती सावित्री ने सत्यवान के प्राणों को लेकर वहाँ पहुंची जहां पर सत्यवान का मृत शरीर वट वृक्ष के नीचे पड़ा था। उनके प्राणों को लेकर सती सावित्री ने वट वृक्ष के सात फेरे लगाए। जिससे सत्यवान जीवित हो उठा था। इसके बाद उनका खोया हुआ राज्य भी उन्हें मिल गया। आगे चलकर वट वृक्ष की कृपा से सती सावित्री सौ पुत्रों की माँ बनी। शास्त्रो के अनुसार इस पूजा से पति, पुत्र एवं परिवार संपन्न होता है।
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