विश्व गौरैया दिवस : शहर के हर मकान में चिड़ियों का घोंसला टांगने का संकल्प

गर्मियों में कई परिंदों व पशुओं की मौत पानी के कमी के कारण हो जाती है।लोगों का थोड़ा सा प्रयास घरों के आसपास उड़ने वाले..

विश्व गौरैया दिवस : शहर के हर मकान में चिड़ियों का घोंसला टांगने का संकल्प

गर्मियों में कई परिंदों व पशुओं की मौत पानी के कमी के कारण हो जाती है।लोगों का थोड़ा सा प्रयास घरों के आसपास  उड़ने वाले परिंदों की प्यास बुझा कर उनकी जिंदगी बचा सकता है।

पंछियों की प्यास बुझाने का संकल्प लेकर कई वर्षों से पेड़ो व घरों में घोंसला बांध रहे पर्यावरण के पहरुए शोभाराम कश्यप ने विश्व गौरैया दिवस पर आज से इस अभियान की शुरुआत की और कहा कि यह अभियान तब तक खत्म नहीं होगा जब तक शहर के हर घर में चिड़ियों का घोंसला टांग नहीं दिया जायेगा।

सुबह आंखें खुलने के साथ ही घरों के बाहर फुदरती गौरैया बच्चों सहित  बडो को भी अपनी ओर आकर्षित करती है।गर्मियों में घरों के आसपास इनकी चहचहाहट बनी रहे।

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इसके लिए जरूरी है कि सभी लोग इन पंछियों को  ध्यान रखें और हर संभव प्रयास करें कि यह चिड़िया प्यास से न मरने पायें। शहर के समाजसेवी 66 वर्षीय शोभाराम कश्यप इस मामले में बेहद संवेदनशील है पिछले 29 वर्षों से पंछियों की प्यास मिटाने के लिए अभियान चला रहे है।

वह बताते हैं कि पिछले वर्ष भी 20 मार्च से गौरैया दिवस पर मैंने घरों में पानी के पात्र व घोसले टांगने का अभियान शुरू किया था अभी तक 1114 स्थानों पर घोसले टांगे गए हैं और पानी के पात्र  भी रखे हैं।इनमें से 2 सैकड़ा ऐसे घोसले हैं जिनमें चिड़ियों ने अंडे दिए हैं और उनके बच्चे भी हुए हैं।

कुछ घोसलों में में गिलहरियों ने कब्जा कर अपने बच्चे पैदा किए हैं।गिलहरी भी अत्यंत उपयोगी है जो फल खाने के बाद बीजों को जमीन में खोदकर छुपा देती है और फिर यह सोच कर कि वह इस बीज को फिर खाएगी लेकिन बाद में वह भूल जाती है कि उसने वह भी जमीन में कहां छुपाया था यही बीज बाद में पौधे बनते हैं।

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  • गौरैया से बेहद लगाव

शोभाराम का पंछियों के प्रति गहरा प्रेम है वह कहते हैं कि जब भी भीषण गर्मी में प्यास से भटकती गौरैया चिड़िया को देखता हूं तो मन व्याकुल हो उठता है और इसीलिए मैंने गौरैया चिड़ियों को बचाने के लिए उन्हें दाना पानी रखने का अभियान शुरू किया था।

इस अभियान में अन्य पंछियों का भी भला हो रहा है।वह बताते हैं कि मैंने पंछी बचाओ अभियान की शुरुआत 2012 में शुरू की थी पहले वर्ष में 200 जल पात्र और 200 दाने के पात्र लगाकर शुभारंभ किया था।हर वर्ष यह अभियान बढ़ता गया।

पिछले वर्ष 1101 जल पात्र और 1101 दाने के पात्र लगाए गए थे पिछले वर्ष लॉक डाउन के कारण अभियान कुछ धीमा पड़ा है फिर भी 1114 जल पात्र और इतने ही घोसले लगाकर अभियान को गति देने की कोशिश की। इस अभियान में जिले के सभी प्रशासनिक अधिकारी लगातार सहभागी बन रहे हैं।

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  • इस तरह रखतें हैं दाना -पानी 

शोभाराम ने पंछियों को दाना पानी रखने के लिए पात्र बनाने का आसान तरीका खोज निकाला है।वह बताते हैं कि मिट्टी के घड़े का निचला हिस्सा काटकर उसे लोहे के छल्ले में रखा जाता है।

रस्सी से उसे छल्ले को बांधकर पेड़ में कील के सहारे बांध दिया जाता है। जिसकी लागत 50-60रुपये आती है उन्हीं पात्रों में पानी भर दिया जाता है।इनमें प्यासे पंछी आकर प्यास बुझाते हैं।

इसी तरह दाने का पात्र भी टांगा जाता है।वह काष्ठ कला के भी पारखी हैं अपने हुनर से उन्होंने घोंसला भी बनाना शुरू किया है।

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