दिल से मजबूर दो साल की अवनी को मिली नई जिंदगी, मासूम के दिल में थे दो छेद

बचपन से बीमार और गुमसुम रहने वाली दो साल की मासूम को अलीगढ़ के डाक्टरों ने नया जीवन...

दिल से मजबूर दो साल की अवनी को मिली नई जिंदगी, मासूम के दिल में थे दो छेद
अवनी

बांदा, बचपन से बीमार और गुमसुम रहने वाली दो साल की मासूम को अलीगढ़ के डाक्टरों ने नया जीवन दिया है। दिल में एक नहीं बल्कि दो छेद से पीड़ित बच्ची का मुफ्त ऑपरेशन कराया गया है। ऑपरेशन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत किया गया है। अब बच्ची ठीक है। दो-तीन दिनों में डाक्टरों ने डिस्चार्ज करने की बात कही है।

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तिंदवारी कस्बे के रहने वाले बिजनेश कुमार ने बताया कि बेटों के बाद बेटी पैदा होने से पूरा परिवार बहुत खुश था,लेकिन जन्म के बाद से ही बेटी के होंठ, नाखून, जीभ व पैर के तलवे नीले देखकर बहुत परेशान रहते थे। गांव में अस्पताल में दिखाने पर भी कोई खास आराम नहीं मिला। पांच माह की उम्र में बेटी अचानक बेहोश होने लगी। तोउसे सीधे कानपुर के एक निजी अस्पताल ले गए। वहां डाक्टरों ने जांच के बाद दिल में छेद होने की बात बताई। 

कुछ दिन इलाज के बाद उसे पीजीआई व एम्स ले जाने की सलाह दी। वह अपनी बेटी को एम्स ले गए। वहां एक महीने तक इलाज व जांच चलती रही। लेकिन कोई आराम नहीं मिला। आर्थिक स्थिति भी बिगड़ गई थी। इलाज में डेढ़ लाख रुपए भी खर्च हो गए। दोस्त की सलाह पर जिला अस्पताल में आरबीएसके टीम से संपर्क किया। टीम ने उसे अलीगढ़ मेडिकल कालेज भेज दिया। यहां 3 अक्टूबर को पहला और 10 अक्टूबर को दूसरा आपरेशन कर दिल का छेद सही कर दिया गया है। 

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के डीईआईसी मैनेजर वीरेंद्र प्रताप ने बताया कि अवनी के दिल में दो छेद थे। हार्ट सर्जरी में लगभग पांच लाख रुपए का खर्च आता है। आरबीएसके से यह निशुल्क हुआ है। डाक्टरों ने सफलतापूर्वक आपरेशन किया है। आक्सीजन लेवल कम हो जाने की कारण उसे आईसीयू में रखा गया था। अब अवनी की हालत ठीक है। फोन पर बातचीत में डाक्टर ने दो-तीन दिनों में डिस्चार्ज करने की बात कही है। 

डीईआईसी मैनेजर ने बताया कि आरबीएसके के तहत इस महीने चार सर्जरी कराई गई हैं। अप्रैल से अब तक 24 सर्जरी हुईं। इसमें हार्ट की दो, कटे होंठ की 12, टेढ़े मेढ़े पैर वाली 9 और जन्मजात गूंगे-बहरे तीन बच्चों के निशुल्क आपरेशन कराए है।  

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में जन्म से 19 साल तक के बच्चों में चार प्रकार की विसंगतियों की जांच होती है। इसे ‘फोर डी’ भी कहते हैं- डिफेक्ट एट बर्थ, डिफिशिएंसी, डिसीज, डेवलपमेंट डिलेज इन्क्लूडिंग डिसएबिलिटी यानि किसी भी प्रकार का विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता। इन कमियों से प्रभावित बच्चों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम निशुल्क सर्जरी सहित प्रभावी उपचार मिलता है। कार्यक्रम के लिए प्रत्येक ब्लाक में दो-दो टीमें गठित की गई हैं। ये टीमें सभी आंगनबाड़ी केंद्रों, सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करती हैं।

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