अस्पताल को फीस नहीं मिली तो नहीं दिया वृद्धा का शव, कोरोना वारियर के नाम पर कलंक

हम जिन्हें कोरोना वारियर्स का तमगा देते नहीं अघाते थे, वो मुसीबत में ऐसा खेल भी कर सकते हैं। ये सोचना भी अजीब लगता था, पर मोनिका जोशी की मानें तो ये वाकई सच दिखाई दे रहा है। किसी की मौत पर तो पड़ोसियों के भी आंसू निकल पड़ते हैं। मानवता का यही तो तकाजा है, पर इस धरती के भगवान कहे जाने वाले यदि ऐसा करें तो शर्मसार हो जाता है ये पूरा पेशा।

अस्पताल को फीस नहीं मिली तो नहीं दिया वृद्धा का शव, कोरोना वारियर के नाम पर कलंक

मध्य प्रदेश का इंदौर जिले में इस अस्पताल के संचालकों ने कोरोना वारियर कहलाये जाने पर कलंक लगवा लिया है। एक वृद्ध महिला की जब इलाज के बावजूद यहां मृत्यु हो गयी तो अस्पताल प्रशासन ने वृद्धा का शव देने से इंकार कर दिया, कारण था कि उसे उसकी पूरी फीस नहीं मिली थी। 

पूरा मामला इस प्रकार है कि एक वृद्ध महिला शांतिबाई जोशी को महू में हार्ट अटैक आया, जिसके बाद उन्हें तत्काल सीएचएल अस्पताल के लिए रिफर किया गया। यहां उन्हें डाॅ. पोरवाल ने अटैंड किया। वो उनका इलाज कर रहे थे कि मंगलवार को उस वृद्ध महिला की मौत हो गयी। अब जब परिजनों ने शव दिये जाने की बात की तो अस्पताल प्रशासन ने और एक लाख रूपयों की मांग की। कहा कि जब तक पूरे पैसे नहीं मिल जायेंगे वो डेड बाॅडी नहीं ले जाने देंगे।

उस मृत वृद्धा की नातिन मोनिका जोशी ने बताया कि अस्पताल में जब उन्हें भर्ती किया गया था, तो उन्हें एक लाख सत्तर हजार का पैकेज बताया गया था, वो उन्होंने किसी तरह जमा करा दिये थे, तब अस्पताल ने उनका इलाज शुरू किया। पर जब उनकी मौत हो गयी तो अस्पताल ने 1 लाख रूपये और मांगे। जब उन्होंने असमर्थता जताई और बताया कि जितनी बात हुई थी, उतने पैसे जमा करा दिये हैं। तो अस्पताल प्रशासन ने उनसे बदसलूकी की।

मोनिका जोशी आरोप लगाती हैं कि अस्पताल के डाॅक्टरों ने इलाज में लापरवाही बरती और उन्हें सही स्थिति की जानकारी नहीं दी गयी, जिससे उनकी मौत हो गयी।

मानवता को शर्मसार कर देने वाला यह मामला जब अखबारों की सुर्खियां बना तो इसकी सूचना मानवाधिकार आयोग को दी गयी। अब आयोग के सदस्य सरबजीत सिंह ने इस मामले में इंदौर के सीएमएचओ से रिपोर्ट तलब की है। मानवाधिकार आयोग ने सीएमएचओ को यह निर्देश भी दिये हैं कि वे मृतका के परिजनों से चर्चा करें कि अभी तक उन्हें शव सौंपा गया है या नहीं।

खैर, हम जिन्हें कोरोना वारियर्स का तमगा देते नहीं अघाते थे, वो मुसीबत में ऐसा खेल भी कर सकते हैं। ये सोचना भी अजीब लगता था, पर मोनिका जोशी की मानें तो ये वाकई सच दिखाई दे रहा है। किसी की मौत पर तो पड़ोसियों के भी आंसू निकल पड़ते हैं। मानवता का यही तो तकाजा है, पर इस धरती के भगवान कहे जाने वाले यदि ऐसा करें तो शर्मसार हो जाता है ये पूरा पेशा।

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