यूपी की राज्यपाल ने छात्र छात्राओं को उपाधियां दी, मोटे अनाज के लिए ये नसीहत भी दी

आज विश्व में मोटे अनाज की मांग बढ़ रही है, इससे विदेश में मोटे अनाज को बेचने के लिये किसानो को बढ़ावा...

यूपी की राज्यपाल ने छात्र छात्राओं को उपाधियां दी, मोटे अनाज के लिए ये नसीहत भी दी

बांदा आज विश्व में मोटे अनाज की मांग बढ़ रही है, इससे विदेश में मोटे अनाज को बेचने के लिये किसानो को बढ़ावा मिल रहा है। हम सभी को मोटे अनाज का उपयोग विभिन्न व्यंजनों के लिये करना चाहिये। मोटे अनाज बुंदेलखंड के किसानों एवं क्षेत्रवासियों के लिये वरदान साबित हो सकता है। विश्वविद्यालय के छात्रावास के साथ-साथ अन्य छात्रावासों में भी मोटे अनाज को भोजन मे शामिल करना चाहिये। 

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यह बातें बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय बांदा के आठवे दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति के रूप में उपस्थित रहीं प्रदेश की राज्यपाल, श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहीं। उन्होने कहा कि उत्तर गुजरात की तरह बुंदेलखंड भी कम पानी वाला क्षेत्र है। बुंदेलखंड के लिये मिलेट वर्ष 2023 एक अवसर के रूप में देखा जाना चाहिये। यहां के कृषक छोटी जोत से भी इसे शुरू कर सकते है क्योंकि बाहर इसकी मांग बढ़ रही है । कृषि छात्रों के लिये इनके उत्पाद का उद्योग एक अवसर होगा। कृषि के क्षेत्र में ड्रोन एवं आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा मिल रहा है। महिलाएं समाज में बड़ी भागीदारी निभा रहीं हैं इनके शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सम्मान का विशेष ध्यान देना चाहिये। 

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कुलाधिपति ने यह भी कहा कि देश को जी-20 की अध्यक्षता मिलना एक सौभाग्य की बात है। आठवें दीक्षांत समारोह में सर्वप्रथम निराश्रित गौवंशीय पशुआें के लिये विश्वविद्यालय परिसर में बनाये गये कामदगिरि नंदी-नंदिनी अभ्यारण्य का उद्घाटन भी किया। दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भा.कृ.अ.प., नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक, डा. त्रिलोचन महापात्रा उपस्थित रहे।

डा. महापात्रा ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह विश्वविद्यालय कुलपति के नेतृत्व में छात्रां के साथ-साथ कृषकों के भविष्य के निर्माण में विशेष योगदान दे रहा है। बुंदेलखंड देश का एक बहुमूल्य एवं महत्वपूर्ण क्षेत्र है। वर्षा आधारित खेती ही यहां की पहचान एवं समस्या है। कृषि के क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई व्यवस्था अपनाकर कृषि को और बढ़ाया जा सकता है, जिसके लिये वर्षा जल संचय एक महत्वपूर्ण कदम होगा। मोटे अनाज के लिये यह क्षेत्र वरदान साबित हो सकता है। बुंदेलखण्ड ही नहीं बल्कि पूरे देश में दलहन फसल में प्रो. नरेन्द्र प्रताप सिंह का योगदान बहुत रहा है।

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विश्वविद्यालय के कुलपति ने प्रो. नरेन्द्र प्रताप सिंह ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होने बताया कि इस दीक्षांत समारोह में कुल 206 छात्रों जिसमें 159 स्नातक स्तर के तथा 47 परास्नातक छात्रों के उपाधि तथा 15 छात्र-छात्राओं को मेडल प्रदान किया गया।  विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. एस.के. सिंह ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक डा. बी.के. गुप्ता व डा. विज्ञा मिश्रा ने किया इस कार्य में डा. शालिनी पुरवार व डा. नीतू तथा छात्र छात्राओ का विशेष योगदान रहा।

कार्यक्रम के  दौरान 40 आगनवाडी कार्यकर्तीयों को आगनवाडी किट एवं 15 प्राथमिक विद्यालय के छात्रो को उपहार वितरित किये गये। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप मे पूर्व कुलपति डा. मिल्खा सिंह औलख उपस्थित रहे। बाँदा के मंत्री जल शक्ति, रामकेष निषाद जी सांसद आर. के. सिंह पटेल, विद्यायक, श्रीमति ओममणि वर्मा व अन्य जन प्रतिनिधि, जिलाधिकारी, पुलिस अधिक्षक व अन्य प्रशासनिक अधिकारी विश्वविद्यालय के अधिकारी, शैक्षणिक कर्मचारी तथा छात्र छात्राये उपस्थित रहे।

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