योगी की मुहिम लाई रंग, उप्र में 5,146 गो-आश्रय स्थलों में 5,19,816 गोवंश संरक्षित

प्रदेश में निराश्रित, बेसहारा गोवंश को संरक्षित किए जाने के लिए लागू नीति के बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं...

योगी की मुहिम लाई रंग, उप्र में 5,146 गो-आश्रय स्थलों में 5,19,816 गोवंश संरक्षित

लखनऊ,

  • गोवंश की पहचान को लगाया गया यूआईडी इयर टैग

इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुहिम रंग लाती नजर आ रही है। उनके निर्देशों के तहत 02 जनवरी, 2019 को यह नीति प्रख्यापित की गयी थी। इसके बाद से सभी जनपदों में निराश्रित, बेसहारा गोवंश को गो-आश्रय स्थलों में संरक्षित कर उनकी सुरक्षा एवं भरण-पोषण किया जा रहा है। 

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ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में स्थापित किए गए गो-आश्रय स्थल 
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने शुक्रवार को बताया कि प्रदेश में कुल 5,146 गो-आश्रय स्थल स्थापित हैं। इनमें 4,452 अस्थायी गोवंश-आश्रय स्थल, 148 कान्हा गोशाला, 402 कांजी हाउस एवं 144 वृहद गो-संरक्षण केन्द्र हैं। यह गो-आश्रय स्थल प्रदेश के ग्रामीण व शहरी इलाकों में स्थापित किए गए हैं। इन गो-आश्रय स्थलों में 5,19,816 गोवंश संरक्षित हैं। गोवंश की पहचान हेतु उन्हें यूआईडी इयर टैग लगाया गया है। 

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  • गोवंश के भरण-पोषण को 380.61 करोड़ की धनराशि जिलाधिकारियों को कराई गई उपलब्ध

वंश के भरण-पोषण हेतु विभिन्न गो-आश्रय स्थलों में 9.80 लाख कुन्तल भूसा एकत्र कर संरक्षित किया गया है। वित्तीय वर्ष 2018-19 से अभी तक गोवंश के भरण-पोषण के लिए 380.61 करोड़ रुपये की धनराशि जिलाधिकारियों को उपलब्ध करायी जा चुकी है।

32,242 किसानों को 62,314 गोवंश किए गए सुपुर्द
मुख्यमंत्री निराश्रित-बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के अन्तर्गत अब तक 32,242 इच्छुक किसानों को 62,314 गोवंश सुपुर्दगी में देकर लाभान्वित किया गया है। साथ ही, राष्ट्रीय पोषण मिशन के अन्तर्गत 519 कुपोषित परिवारों को गोवंश आश्रय स्थलों से गोवंश उपलब्ध कराया गया है। गो-आश्रय स्थलों से सम्बन्धित इन योजनाओं के अन्तर्गत चिह्नित लाभार्थियों को प्रति गोवंश 30 रुपये प्रतिदिन अर्थात 900 रुपये प्रतिमाह गोवंश के भरण-पोषण हेतु अनुदान के रूप में लाभार्थी के बैंक खाते में हस्तांतरित किया जाता है।

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144 स्थायी गो-आश्रय स्थलों में 46,215 गोवंश संरक्षित
प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश में अस्थायी गोवंश आश्रय स्थलों से पृथक निराश्रित गोवंश को स्थायी रूप से संरक्षित किए जाने एवं आश्रय केन्द्रों को स्वावलम्बी बनाए जाने के उद्देश्य से प्रदेश में 1.20 करोड़ रुपये प्रति केन्द्र की दर से कुल स्वीकृत 187 वृहद गो-संरक्षण केन्द्रों में से 109 का निर्माण पूर्ण कराकर क्रियाशील बनाया गया है। शेष वृहद गो-संरक्षण केन्द्रों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इसके साथ ही, बुन्देलखण्ड के 07 जनपदों में 30 लाख रुपये प्रति पशु आश्रय गृह की दर से 35 पशु-आश्रय गृह का निर्माण कार्य पूर्ण कराकर क्रियाशील किया गया है। इन कुल 144 स्थायी गो-आश्रय स्थलों में 46,215 गोवंश को संरक्षित भी किया जा चुका है।

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गो-आश्रय स्थलों पर 3,112 परियोजनाएं संचालित
प्रवक्ता ने बताया कि गो-आश्रय स्थलों को स्वावलम्बी बनाए जाने हेतु गोबर, गोमूत्र के विविध प्रयोग एवं अन्य कार्यक्रम के अन्तर्गत मनरेगा से गो-आश्रय स्थलों पर कुल 3,112 परियोजनाएं संचालित हैं, जिसके द्वारा 4,10,644 मानव दिवस का सृजन किया गया है। 1,019 गो-आश्रय स्थलों पर जैविक खाद तैयार की जा रही है। आगामी शीत ऋतु के दृष्टिगत संरक्षित गोवंश को शीत से बचाव हेतु जनपदों द्वारा प्रत्येक गो-आश्रय स्थलों पर उपाय सुनिश्चित किए जा रहे हैं। इस सम्बन्ध में समस्त जनपदों को समुचित निर्देश भी जारी किए गए हैं।

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किसानों को होने वाली फसल हानि से भी हो रहा बचाव  
प्रवक्ता ने कहा कि गोवंश के संरक्षण से जहां निराश्रित-बेसहारा गोवंश को आश्रय प्राप्त हुआ, वहीं किसानों को होने वाली फसल हानि से भी बचाव हो रहा है। मुख्यमंत्री निराश्रित-बेसहारा गोवंश सहभागिता योजनान्तर्गत गोवंश को सुपुर्दगी में दिए जाने से इच्छुक व जरूरतमंद परिवारों के जीविकोपार्जन का मार्ग प्रशस्त हुआ है। कुपोषण से ग्रसित परिवारों को दुग्ध की उपलब्धता से कुपोषण से मुक्ति प्राप्त करने में सफलता मिलेगी। 

हिन्दुस्थान समाचार

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