बारिश ने एक बार फिर से बुन्देलखंड के केदारनाथ का, नैसर्गिक सौंदर्य लौटा दिया 

बिजावर जिले के प्रसिद्ध शिवधाम जिसे बुन्देलखंड का केदारनाथ कहा जाता है वहां प्रकृति ने अपना श्रंगार शुरू कर दिया है। बिजावर क्षेत्र में स्थित...

बारिश ने एक बार फिर से बुन्देलखंड के केदारनाथ का, नैसर्गिक सौंदर्य लौटा दिया 

बारिस से बहने लगा सिद्धधाम का झरना
छतरपुर बिजावर-जिले के प्रसिद्ध शिवधाम जिसे बुन्देलखंड का केदारनाथ कहा जाता है वहां प्रकृति ने अपना श्रंगार शुरू कर दिया है। बिजावर क्षेत्र में स्थित भगवान शिव के इस प्राचीन जटाशंकर मंदिर की छटा इन दिनों देखते ही बन रही है। मानसून के प्रारंभ होते ही चारों ओर से पहाड़ों से घिरे इस शिवधाम पर हरियाली और शीतल हवा के कारण मनोहारी वातावरण निर्मित हो गया है। शनिवार को यहां जोरदार बारिश हुई जिसके कारण मंदिर के ऊपर से बहने वाला पानी तेज रफ्तार के साथ झरने के रूप में गौमुख और सीढ़ियों से बहने लगा। यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने इस मनोहारी दृश्य का खूब आनंद लिया।

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बुंदेलखंड में बारिश ने एक बार फिर से यहां के जाग्रत धार्मिक स्थलों का नैसर्गिक सौंदर्य फिर से लौटा दिया है। प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र जटाशंकर की वादियों हरियाली से न सिर्फ खिल उठी हैं, बल्कि प्रकृति ने भी ऐसा श्रृंगार किया है कि यहां मन को रोमांचित करने वाले नजारे दिखने लगे हैं। अर्से बाद नेचुरल फॉल्स चारों तरफ निकल आए हैं। हरियाली ने सूखे और मुरझाए जंगलों को इस तरह सजाया है मानो जैसे किसी दूसरी दुनिया में ही आ गए हों। प्रकृति का यह नजारा देखने के लिए लोग अब बड़ी संख्या में परिवार सहित पहुंच रहे हैं। 

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जिला मुख्यालय छतरपुर से 52 किमी की दूरी पर स्थित है प्रसिद्ध शिवधाम जटाशंकर. यहां पर तीन रहस्मय कुंड और झरनों के साथ प्राचीन शिवलिंग लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र है। इसके अलावा यहां पर पहाड़ी, झरने, मंदिरों के साथ पूरा जंगली क्षेत्र लोगों के लिए एक मुफीद पर्यटन स्थल से कम नहीं है। इस स्थल पर जाने के लिए यात्री बस से लेकर टैक्सी, कार है। नेशनल हाइवे 86 से जुड़ा यह धार्मिक और पर्यटन केंद्र अपने आप में इसलिए अनूठा है क्योंकि हर महीने की अमावस्या पर यहां एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने और भगवान शिव को जल अर्पित करने पहुंचते हैं। सीढिय़ों से मंदिर तक पहुंचना अपने आपमें में रोमांचकारी है।

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 इसके अलावा सडक़ मार्ग से जाने के लिए गौराई घाटी के रास्ते रोमांचित करने वाले नजारे, हरियाली, जंगल और नेचुरल फॉल्स को देखते हुए भी यहां तक पहुंचा जा सकता है। कई प्रकार के मंदिरों, कुंड के अलावा बड़ा झरना भी लोगों को सुखद अहसास कराते हुए सफर की थकान को मिटा देता है। यहां पर गौमुख से सालभर पानी का झरना निकलता रहता है। बारिश के दिनों में यह बड़े जल प्रपात का रूप ले लेता है।

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शंकर ट्रस्ट के अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने बताया कि इस बार जटाशंकर धाम में भगवान शिव के अभिषेक और पूजन का विशेष कार्यक्रम बनाया गया है। चूंकि इस वर्ष अधिमास होने के कारण सावन के अंतर्गत 8 सोमवार पड़ेंगे, हर सोमवार जटाशंकर धाम पर विशेष आयोजन होंगे। उन्होंने बताया कि 59 दिनों तक चलने वाले इस सावन अधिमास पर्व के दौरान भगवान शिव की भक्ति का विशेष महत्व है। सर्वाधिक श्रद्धालु 17 जुलाई को पहुंचेंगे। जब सोमवती अमावस्या का दिन होगा। उन्होंने बताया कि हमने भक्तों के आवागमन और सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं।

संदीप सेन

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