उत्पीड़न का शिकार महिलाओं की पैरवी इस तरह कर रही वनांगना

महिला मुद्दों पर काम कर रही वनांगना संस्था समाज में प्रताड़ित और उपेक्षित महिलाओं के साथ भी काम रह रही है।घर या समाज में उत्पीड़न ...

उत्पीड़न का शिकार महिलाओं की पैरवी इस तरह कर रही वनांगना

घरेलू हिंसा कानून में पांच प्रकार से मिलती है त्वरित राहत 

महिला मुद्दों पर काम कर रही वनांगना संस्था समाज में प्रताड़ित और उपेक्षित महिलाओं के साथ भी काम रह रही है। घर या समाज में उत्पीड़न का शिकार महिलाओं को निशुल्क कानूनी सहायता प्रदान कर रही है। मंगलवार को कार्यालय में ऐसी संघर्षशील महिलाओं के साथ एक दिवसीय कार्यशाला की गई। इसमें शामिल 35 महिलाओं को घरेलू हिंसा कानून-2005 की विस्तार से जानकारी दी गई।  

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संस्था में वरिष्ठ संदर्भ समूह शबीना मुमताज़ ने घरेलू हिंसा कानून की जानकारी देते हुए बताया कि यह पुरुष विरोधी कानून नहीं है। यह कानून घरेलू महिलाओं को हिंसा से सुरक्षित करता है। इस कानून के तहत महिलाओं को पांच प्रकार से त्वरित राहतों का प्रावधान भी है। इस कानून की एक विशेषता यह भी है कि इसके तहत सुनवाई तीन दिन के भीतर होती है। फैसला दो माह में हो जाता है। लेकिन कभी-कभी कानूनी प्रक्रिया में थोड़ी देर लग सकती है। लेकिन इंसाफ जरूर मिलता है। उन्होंने इस कानून को बनाने में समाजसेवी संस्थाओं की भागीदारी और संघर्ष के बारे में बताया।

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नेतृत्व समूह अवधेश गुप्ता ने संस्था में आई महिलाओं के केस व उसकी वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी। कुछ महिलाओं के साथ आए उनके माता-पिता ने भी अपने विचार रखे। कहा कि उन्हें यहां आकर अपनेपन का एहसास होता है। संघर्षशील महिला गीता, माया, सुनीता ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि संस्था में उन्हें अपने मायके का एहसास होता है। कार्यकर्ताओं के साथ दोस्ती का रिश्ता बन गया है। यहां वह अपनी बातों को खुलकर रख सकते हैं। 

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कार्यशाला में शोभा देवी व फरहा खातून ने सभी महिलाओं का आभार वयक्त किया। इसमें शहर सहित कोर्रही, शंकर बाज़ार, बबेरू, अतर्रा, नरैनी, तिन्दवारी, हस्तम, चिमनीपुरवा, जसईपुर, कलहरा जमवारा गांव की 35 महिलाएं शामिल रहीं

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