किसानों के साथ जमीन पर बैठे पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी

मऊरानीपुर रेलवे स्टेशन से भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष के आह्वान पर दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित...

किसानों के साथ जमीन पर बैठे पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी

दिल्ली धरना देने जा रहे किसानों को पुलिस व प्रशासन ने मऊरानीपुर रेलवे स्टेशन पर रोका

झांसी। मऊरानीपुर रेलवे स्टेशन से भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष के आह्वान पर दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित एक दिवसीय किसान महापंचायत में शामिल होने जा रहे किसानों को पुलिस व प्रशासन ने रेलवे स्टेशन पर ही रोक लिया। इस पर किसानों ने रेलवे स्टेशन पर ही बैठकर धरना प्रदर्शन करते हुए अपनी मांग उठाई। तो वही पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी किसानों के साथ जमीन पर बैठ गए।

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अक्षय कुमार की फ़िल्म जौली एलएलबी में आपने न्यायाधीश व अधिवक्ता को देर रात एक दूसरे के खिलाफ जमीन पर बैठकर धरना प्रदर्शन करते देखा होगा। देर रात ऐसी ही एक फिल्मी कहानी मऊरानीपुर रेलवे स्टेशन पर उस समय देखने को मिली जब किसानों की विभिन्न समस्याओं को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन में जा रहे भारतीय किसान यूनियन के करीब एक सैकड़ा किसानों को रोकते हुए स्टेशन पर बैठ गए। किसान दिल्ली के लिए मऊरानीपुर रेलवे स्टेशन पर संपर्क क्रांति के इंतजार में थे, तभी मऊरानीपुर पुलिस प्रशासन और तहसील प्रशासन भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचा गया और किसानों को दिल्ली जाने से रोक लिया। किसान जब रेलवे स्टेशन पर बैठ गए तो उप जिलाधकारी गोपेश तिवारी सहित पुलिस क्षेत्राधिकारी और कोतवाली प्रभारी भी किसानों के साथ जमीन पर बैठे रहे और किसानों को दिल्ली नहीं जाने दिया।

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दिल्ली नहीं तो मऊरानीपुर ही सही

इस संबंध में भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष कमलेश लंबरदार ने बताया कि 14 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश टिकैत के नेतृत्व में किसानों के मुकदमे वापस लेने, समर्थन मूल्य की गारंटी आदि समस्याओं को लेकर एक दिवसीय धरना आयोजित किया गया था। उसी में शामिल होने के लिए हम सभी लोग जा रहे थे लेकिन पुलिस और प्रशासन ने यहीं रोक लिया है। तो यह धरना तहसील मुख्यालय से ही शुरू कर दिया गया है।

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दो हजार के मुआवजे में तो परिवार को जहर नहीं मिलेगा

वहीं भारतीय किसान यूनियन के जिला सचिव भानु प्रताप कुशवाहा ने बताया कि किसानों की विभिन्न समस्याओं में ओलावृष्टि से बर्बाद फसलों का उचित मुआवजे की मांग भी बड़ी समस्या है। सरकार मुआवजा दे रही है लेकिन यह मुआवजा किसानों के लिए ऊंट के मुंह में जीरे के जैसा है। उन्होंने बताया कि जिसका 3 लाख का नुकसान हुआ है उसमें भी 2000 का मुआवजा दिया जा रहा है। जिसका एक लाख का नुकसान हुआ है उसे भी 2000 रुपए रेवड़ी की तरह बांटे जा रहे हैं। इन 2000 रुपए में तो परिवार के लोगों के लिए जहर भी नहीं खरीदा जा सकेगा।

हिन्दुस्थान समाचार

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