मृदुल स्वभाव के धनी परोपकारी ज्ञान प्रचारक महात्मा होरीलाल जी हुए ब्रह्मलीन

संत निरंकारी मिशन जोन बांदा के ज्ञान प्रचारक महात्मा होरी लाल जी साकार रूप को त्याग कर...

मृदुल स्वभाव के धनी परोपकारी ज्ञान प्रचारक महात्मा होरीलाल जी हुए ब्रह्मलीन

बांदा,
संत निरंकारी मिशन जोन बांदा के ज्ञान प्रचारक महात्मा होरी लाल जी साकार रूप को त्याग कर निराकार में विलीन हो गए। संत जी की आयु 65 वर्ष की थी। उन्हाने पीडब्लू डी विभाग बांदा में पूर्णकालिक सेवाएं दी है। वे मूलतः ग्राम इंगुवा (मऊ) तहसील-बबेरू के निवासी थे। वे वर्तमान में परिवार सहित कालू कुआं बांदा मे निवासरत थे।

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उन्होने 1992 में संत के.के.गुप्ता जी (हमीरपुर) से ब्रह्यज्ञान प्राप्त किया। ज्ञान प्राप्त करने के बाद मिशन के सेवादल कार्यकर्ता के रूप में अपनी सेवाये अर्पित की। कुछ वर्ष बाद उनको निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज की कृपा से ज्ञान प्रचारक की सेवा प्रदान की गई। ज्ञान प्रचारक की सेवा मिलते ही आपने बहुत से गांवों, शहरो, कस्बों, बुन्देलखण्ड क्षेत्र के साथ ही उत्तर-प्रदेश के विभिन्न जिलो के अलावा देश के अन्य राज्यों में भी सत्य के सन्देश को जन-जन तक पहुचांया। उन्होनें हजारो की संख्या में जिज्ञासु प्रभु भक्तों को परमात्मा का बोध कराया।

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हर मिलने वाले से प्रभु चर्चा करने वाले मृदुल स्वभाव व्यक्तित्व के धनी ब्रह्मज्ञानी महापुरुष श्री होरीलाल का जीवन परोपकार मय था, वे बांदा साध संगत के रोशन मीनार थे। जिंहोंने जीवन पर्यंन्त हर मिलने वाले को प्रभु ज्ञान की रोशनी से रूबरू होने की प्रेरणा दी। उनका पूरा जीवन ही प्रभु भक्ति से ओतप्रोत रहा।

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महात्मा होरीलाल जी जिसके साथ भी बैठते थे, सिर्फ प्रभु चर्चा ही करते थे, उन्होंने जीते जी एक सरल और सहज जीवन की महक फैलाई, वे चलते-फिरते ग्रंथ थें, जहां जाते प्रभुभक्ति की ही सीख देते, वह युवाओं को आध्यात्म के लिए प्रोत्साहित करते रहते थे। वहीं प्रभु में लीन होने के बाद भी 

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