बुंदेलखंड के इस गांव में दशानन के आशीर्वाद से कई आईएएस पीसीएस बने

बुंदेलखंड के चित्रकूट मंडल में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट में एक ऐसा गांव है ।जहां पर को रावण के पुतले को फूंकने के बजाय ...

बुंदेलखंड के इस गांव में दशानन के आशीर्वाद से कई आईएएस पीसीएस बने

 बुंदेलखंड के चित्रकूट मंडल में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट में एक ऐसा गांव है ।जहां पर को रावण के पुतले को फूंकने के बजाय यहां पर 300 साल पहले स्थापित रावण की विशालकाय प्रतिमा की पूजा अर्चना की जाती है। गांव के लोग रावण की पूजा करने को अपशगुन नहीं मानते बल्कि पूजा अर्चना करने से गांव में समृद्धि आती है। गांव के दर्जनों लोग आईएएस पीसीएस और  सरकारी नौकरी कर रहे हैं।

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धर्म नगरी चित्रकूट 84 कोस तक भगवान राम से जुड़े स्थलों पर विविध चित्रों से कूट देश दुनिया के लाखों श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण है। इससे इतर यहां के मानिकपुर तहसील के रैपुरा गांव में विजयदशमी पर रावण दहन के बजाय शक्ति पूजा कर आशीर्वाद व ज्ञान लेने की परंपरा वर्षाे से चली आ रही है। ग्रामीण रावण के ज्ञान और पराक्रम से प्रेरणा लेने के साथ स्थापित प्रतिमा की पूजा अर्चना करते हैं। मान्यता है कि ज्ञानी रावण की बुद्धि का असर बच्चों युवाओं पर पडने से अब तक तीन दर्जन आईएएस, पीसीएस के साथ कई बड़े पदों पर चयन हुए हैं वहीं सरकारी नौकरी वाले घर-घर में हैं।

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गांव के लोग बताते हैं कि जब बच्चे सवेरे स्कूल जाने के लिए घर से निकलते हैं। तो प्रतिमा के सामने खड़े होकर उसे गौर से निहारते हैं और फिर घर जाकर अभिभावकों से रामायण के पाठ के हिसाब से सवाल जवाब भी करते हैं। बताया कि गांव में शिक्षा का स्तर काफी बेहतर है। गांव के सी पी सिंह और अभिजीत सिंह आईएएस अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। तेज प्रताप सिंह, तेज स्वरूप सिंह ,राज स्वरूप सिंह रामकिशोर शुक्ला और यादवेंद्र शुक्ला पीसीएस अधिकारी हैं। इसके अलावा पहलाद सिंह (वीडियो) प्रदीप पांडे (वीडियो) नाथूराम सिंह (रेंजर) डॉक्टर लक्ष्मी, व डॉक्टर अखिलेश सिंह, डॉक्टर बलबीर सिंह, डॉक्टर अश्वनी कुमार, डॉक्टर संदीप कुमार, डॉक्टर आशा सिंह, डॉक्टर आशुतोष सिंह स्वास्थ्य विभाग के उच्च पदों पर कार्यत हैं। यह लोग साल में कभी कभार गांव आते हैं। सभी की प्राथमिक शिक्षा इसी गांव में हुई है।गांव के लोग मानते हैं कि रावण के आशीर्वाद से इन लोगों का चयन सरकारी नौकरी में हुआ है।

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बुजुर्गों का कहना है कि गांव में स्थापित रावण की प्रतिमा लगभग 300 साल पहले स्थापित हुई थी। इस प्रतिमा के समक्ष नमन करने से पढ़ने वाले वाले छात्रों की निरंतर प्रगति होती रही और बाद में उन्हें सरकारी नौकरी मिली। यही वजह है कि धीरे-धीरे गांव में समृद्धि से लोगों की आस्था बढ़ती चली गई। इसी तरह समाजसेवी अजीत सिंह का कहना है कि रावण के ज्ञान और पराक्रम से वर्तमान समाज को प्रेरणा लेनी चाहिए। भगवान राम ने युद्ध में दशानन को मारने के बाद अपने छोटे भाई लक्ष्मण को राजनीति व सामाजिक ज्ञान के लिए भेजा था। इसीलिए गांव में विजयदशमी के दिन सरकारी नौकरियों में तैनात अधिकारी कर्मचारी से लेकर गांव के अन्य लोग एकत्र होकर सामूहिक रूप से रावण की प्रतिमा की पूजा करते हैं और जब भी लोग इस प्रतिमा के समक्ष गुजरते हैं तो अपना सिर जरुर झुकाते हैं।

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