ग़ालिब डे:कई सदियों तलक अब दूसरा ग़ालिब नहीं होगा

बुधवार की शाम राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सभागार में ग़ालिब डे का आयोजन किया गया। जिसमें शायरों व कवियों ने ग़ालिब की मशहूर ग़ज़ले पेश की। कई कवियो ...

ग़ालिब डे:कई सदियों तलक अब दूसरा ग़ालिब नहीं होगा

बुधवार की शाम राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सभागार में ग़ालिब डे का आयोजन किया गया। जिसमें शायरों व कवियों ने ग़ालिब की मशहूर ग़ज़ले पेश की। कई कवियो अपनी कविताओं के माध्यम से सामाजिक व्यवस्था पर चोट की। 

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कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डाक्टर मोहम्मद अफ़ज़ल ने ग़ालिब और बाँदा के रिश्ते के बारे में जानकारी दी। इसके बाद शशी प्रजापति ने ग़ालिब की मशहूर ग़ज़ल आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक , कौन जीता है तेरी जुल्फ के सर होने तक ,पढ़ी। इसके बाद झांसी के शायर अर्जुन सिंह चाँद ने ग़ज़ल सुनाई, लश्कर भी तुम्हारा है सरदार तुम्हारा है, तुम झूठ को सच लिख दो अखबार तुम्हारा है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए एआरटीओ शंकरजी सिंह ने पढ़ा, ज़हर बिरह का पीलूंगी, अधरों को भी सीलूँगी, नहीं बन सकी अगर रुक्मणि,राधा बनकर जीलूँगी। कानपुर से आई शिखा मिश्रा ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की तर्ज पर ग़ज़ल पढ़ी, मैं भी शोहरत की इसी राह पे चल सकती हूं, तेरे ख्वाबों को हकीकत में बदल सकती हूं, मुझको मत कोख में मार तू मेरे बाबुल, तेरे बेटों से भी आगे मैं निकल सकती हूं ।प्रयागराज से आये अफ़ज़ल इलाहाबादी ने ग़ज़ल सुनाई, सिर्फ कहने को है मेरी तस्वीर, रंग जितने हैं सब तुम्हारे हैं। 

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हथगाम फतेहपुर से आये शिवम हथगामी ने ग़ज़ल सुनाई, ये है पाकीज़ा इश्क की चादर, चल मेरे यार ओढ़ लेते हैं । बाँदा के युवा शायर अनुराग विश्वकर्मा ने पढा,करेंगे लाख कोशिश सब मगर मुमकिन नहीं है अब। कई सदियों तलक अब दूसरा ग़ालिब नहीं होगा। फिरोजाबाद से आये हास्यव्यंग्य के शायर ज़ीरो बांदवी ने सुनाया, बेटी दुआयें करती है उम्रेदराज की, बेटे ये सोचते हैं कब इन्तेकाल हो। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे उबैदुर रहमान जिलापूर्ति अधिकारी ने पढ़ा, ये मेरी तरफ जो उछाले थे संग दुनियाँ ने ,उन्ही को जोड़ के एक घर बना लिया मैने। इनके अलावा शिवशरण बन्धु फतेहपुर, डाक्टर खालिद इज़हार, अब्बा बांदवी, डाक्टर शबाना रफीक, आयुषी त्रिपाठी, आदि ने भी अपने अपने कलाम सुनाए। 

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कार्यक्रम मे बोलते हुए मुख्य अतिथि, मुख्य विकास अधिकारी वेद प्रकाश मौर्या ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कई शेर सुनाए, विशिष्ट अतिथियों में डाक्टर मोहम्मद रफीक और डाक्टर सऊद उज़ ज़मा सादी ज़मा ने भी कार्यक्रम की सराहना की। कार्यक्रम के अंत मे कार्यक्रम की संरक्षिका महिला डिग्री कॉलेज की प्राचार्या दीपाली गुप्ता और आयोजक समिति ने सभी शायरों व अतिथियों को अंग वस्त्र पहना कर, और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया और सभी का आभार्य व्यक्त किया। संचालन नज़रे आलम और डाक्टर सबीहा रहमानी ने किया ।
इस कार्यक्रम में सैकड़ों श्रोताओं के साथ साथ विशेष रूप से जावेद खान, मुन्ने मगरिबी, शोभाराम कश्यप, रिज़वान अली रोटी बैंक सोसाइटी के अध्यक्ष अपनी टीम के साथ मौजूद रहे।

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