भागवताचार्य ने रुकमिणी विवाह, ऊधव ब्रजगमन, महारास लीला की सुनाई कथा

श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन भागवताचार्य नवलेश दीक्षित महाराज ने महारास लीला ऊधौ ब्रजगमन...

भागवताचार्य ने रुकमिणी विवाह, ऊधव ब्रजगमन, महारास लीला की सुनाई कथा

पापियों के नाश को अवतार लेते हैं भगवान : नवलेश दीक्षित

चित्रकूट। श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन भागवताचार्य नवलेश दीक्षित महाराज ने महारास लीला ऊधौ ब्रजगमन, कंस वध व रुकमणी विवाह कथा का रसपान कराया।

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मुख्यालय के तरौंहा स्थित भारद्वाज आवास में चल रही श्रीमद भागवत कथा के छठवें दिन भागवताचार्य नवलेश दीक्षित महाराज ने बताया कि भगवान विष्णु के पृथ्वी लोक में अवतरित होने के प्रमुख कारण थे। जिसमें एक कारण कंस वध भी था। कंस के अत्याचार से पृथ्वी त्राहि त्राहि जब करने लगी तब लोग भगवान से गुहार लगाने लगे। तब कृष्ण अवतरित हुए। कंस को यह पता था कि उसका वध श्रीकृष्ण के हाथों ही होना निश्चित है। इसलिए उसने बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण को अनेक बार मरवाने का प्रयास किया, लेकिन हर प्रयास भगवान के सामने असफल साबित होता रहा। 11 वर्ष की अल्प आयु में कंस ने अपने प्रमुख अकरुर के द्वारा मल्ल युद्ध के बहाने कृष्ण, बलराम को मथुरा बुलवा कर शक्तिशाली योद्धा और पागल हाथियों से कुचल कर मारने का प्रयास किया, लेकिन वह सभी श्रीकृष्ण और बलराम के हाथों मारे गए और अंत में श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर मथुरा नगरी को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिला दी। कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता वसुदेव और देवकी को जहां कारागार से मुक्त कराया, वही कंस के द्वारा अपने पिता उग्रसेन महाराज को भी बंदी बनाकर कारागार में रखा था, उन्हें भी श्रीकृष्ण ने मुक्त कराकर मथुरा के सिंहासन पर बैठाया।

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उन्होंने बताया कि रुकमणी जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। वह विदर्भ साम्राज्य की पुत्री थी जो विष्णु रूपी श्रीकृष्ण से विवाह करने को इच्छुक थी, लेकिन रुकमणी जी के पिता व भाई इससे सहमत नहीं थे। जिसके चलते उन्होंने रुकमणी के विवाह में जरासंध और शिशुपाल को भी विवाह के लिए आमंत्रित किया था। जैसे ही यह खबर रुकमणी को पता चली तो उन्होंने दूत के माध्यम से अपने दिल की बात श्रीकृष्ण तक पहुंचाई और काफी संघर्ष हुआ। युद्ध के बाद अंततः श्री कृष्ण रुकमणी से विवाह करने में सफल रहे। आरती के पश्चात प्रसाद वितरित किया गया। इस मौके पर सैकड़ों श्रोतागण मौजूद रहे।

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